उत्तर पूर्व दिशा में कोई भी नकारात्मक वस्तु जैसे जूते, चप्पल या प्रयोग में न आने वाला सामान न रखें। इससे उत्तर पूर्व दिशा में दोष उत्पन्न हो जाता है।
इस क्षेत्र में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। यहीं से कॉस्मिक उर्जा का निर्माण होता है जिससे व्यक्ति स्वस्थ रहता है। ध्यान रहे कि उत्तर पूर्व दिशा के खुला होने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है कि इसमें कॉस्मिक किरणों का उदय एवं प्रवाह बेहतर ढंग से संभव हो पाता है।
यदि आपके निवास का कोई कोना कटा हुआ है या बढ़ा हुआ है तो कॉस्मिक किरणों का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता है जिससे इस क्षेत्र के अनुसार जो भी ग्रह होगा उसके प्रभाव से व्यक्ति को शारीरिक रोग हो सकता है।
किसी की कुंडली में यदि गुरु शुभ प्रभाव में नहीं है और आपके उत्तर-पूर्व जोन में वास्तु दोष है तो ऐसे व्यक्तियों को पाचन तंत्र संबंधी, गॉल ब्लैडर, रक्त चाप, पीलिया आदि रोग होने की आशंका होती है।
गुरू जो कि संतान का भी कारक है इस दिशा का स्वामी है और उत्तर-पूर्व दिशा में हानि होने पर गुरु रुष्ट रहते हैं तो जीवन में कष्ट बने रहते हैं।
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गर्व से कहो हम हैं इंडियन
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