वास्तु के अनुसार घर का भाग्य प्रवेशद्वार पर लिखा होता है और इसका असर घर में रहने वालों पर होता है। इसलिए घर बनवाते या खरीदते समय मुख्यद्वार से जुड़ी कुछ बातों का अवश्य ध्यान रखें।
घर का मुख्य द्वारा किस दिशा में
पूर्व और उत्तर दिशा में मुख्य द्वार होना वास्तु की दृष्टि से सबसे उत्तम होता है। अगर किसी भवन में दो बाहरी दरवाज़े हों तब इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि दोनों द्वार एक-दूसरे के सामने नहीं हो, कहते हैं इससे धन जैसे आता है वैसे ही चला भी जाता है।
दीवार के इस भाग में मुख्य द्वार
वास्तुशास्त्र के अनुसार जिस दीवार के साथ मुख्यद्वार बनवानी हो उस दीवार को नौ भागें में बांटें। इसके बाद भवन में प्रवेश की दिशा से बायीं ओर पांच भाग और दायीं ओर से तीन भाग छोड़कर प्रवेशद्वार बनवाएं। इससे प्रवेश बड़ा होगा और निकास छोटा। माना जाता है कि ऐसा होने से आय अधिक होता है और व्यय कम।
मुख्य द्वार के सामने नहीं
मुख्यद्वार के सामने मंदिर, वृक्ष, कुआँ अथवा स्तंभ नहीं होना चाहिए। इसे 'वास्तु वेध' कहा जाता है यानी लक्ष्मी का प्रवेश बाधित होता है। इससे बचने का उपाय ज्यादा कठिन नहीं है। वास्तु के अनुसार बस आपको इस बात का ख्याल रखना है कि भवन की ऊंचाई से दोगुनी दूरी पर उपरोक्त चीजें न हों। उसके आगे होने पर भी वास्तु-वेध नहीं लगता है।
(गर्व से कहो हम हैं इंडियन)
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