वास्तु के अनुसार सोते वक्त हमेशा सिर दक्षिण दिशा की ओर तथा पैर उत्तर दिशा की ओर होने चाहिए। माना जाता है कि इससे पृथ्वी की ऊर्जा का प्रवाह सही बना रहता है। दक्षिण की ओर सिर होने से ऊर्जा सही तरीके से शरीर में प्रवेश करती है और पैरों के जरिए बाहर निकलती है। इससे शरीर का रक्त संचरण और पाचन तंत्र दुरुस्त रहते हैं। नींद अच्छी आती है। इससे सुबह मन शांत रहता है और तनाव पर नियंत्रण करना आसान होता है।
यदि सोते वक्त दक्षिण की ओर सिर न कर सकें तो पूर्व दिशा दूसरा उत्तम विकल्प हो सकती है। इस दौरान पैर पश्चिम की ओर रहते हैं जिससे प्रकृति की सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सही बना रहता है। चूंकि पूर्व दिशा सूर्यदेव देव के उदय होने का मार्ग है। यहां से न केवल सूर्यदेव जगत को प्रकाश देते हैं बल्कि वे जीवन के लिए ऊर्जा भी प्रदान करते हैं। अगर पूर्व की ओर सिरहाना हो तो सूर्यदेव से ये सभी शुभ फल प्राप्त होते हैं।
सोते समय पूर्व की ओर पैर नहीं होने चाहिए। इससे जीवन में विभिन्न दोषों का प्रवेश होता है। यह सूर्यदेव की दिशा है। अतः ऋषियों ने इस ओर पैर कर सोना निषिद्ध माना है।
(गर्व से कहो हम हैं इंडियन)
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