अगर घर में आए दिन लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं या पिता और पुत्र के बीच हमेशा मन-मुटाव बना रहता है तो वास्तु के जरिए अपने रिश्तों को भी सुधारा जा सकता है।
घर का ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्वी कोना खंडित होने से पिता-पुत्र में आपसी मामलों को लेकर हमेशा झगड़े होते हैं। इसलिए, घर के उत्तर-पूर्वी कोने को हमेशा ठीक रखना चाहिए।
ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में स्टोर रूम, टीले या पर्वत के समान आकृति के निर्माण से भी पिता-पुत्र के संबंधों में परेशानियां आती हैं और दोनों में अविश्वास बना रहता है। घर के उत्तर-पूर्वी कोने में स्टोर रूम आदि नहीं बनवाना चाहिए।
उत्तर-पूर्व दिशा में रसोई घर या शौचालय का होना भी घर के लोगों के संबंधों को प्रभावित करता है। साथ ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बनी रहती हैं। घर की उत्तर-पूर्व दिशा में रसोई घर या शौचालय नहीं होना चाहिए।
घर में होने वाले झगड़ों से छुटकारा पाने के लिए घर को साफ रखें। वास्तु की दृष्टि से घर के उत्तर-पूर्व दिशा को साफ-सुथरा रखना बहुत जरुरी माना जाता है। ऐसा करने से घर में सुख-शांति बढ़ती है।
इलेक्ट्रॉनिक सामान, ज्वलनशील पदार्थ या गर्मी उत्पन्न करने वाले अन्य उपकरणों को ईशान (उत्तर-पूर्व) में रखने से पुत्र पिता की आज्ञा नहीं मानता है और घर-परिवार को अपमानित करता है।
घर की उत्तर-पूर्व दिशा में कूड़ेदान बनाने या कूड़ा रखने से भी घर के लोगों में मन-मुटाव और जलन आदि भावना रखते हैं। इस दिशा में कूड़ादान भूलकर भी नहीं रखना चाहिए।
यदि कोई प्लाट उत्तर व दक्षिण में संकरा तथा पूर्व व पश्चिम में लंबा है तो ऐसी जगह को सूर्यभेदी कहते हैं, ऐसी जगह पर पिता-पुत्र के संबंधों में अनबन की स्थिति हमेशा रहती है। ऐसी जगह पर कभी घर नहीं बनाना चाहिए।
कांच को कभी भी अपने बेडरूम में न रखें या ऐसी जगह न रखें जिससे मिरर में बेड दिखे। इससे घर में बीमारी आती है और निगेटिव एनर्जी भी फैलती है।
(गर्व से कहो हम हैं इंडियन)
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