घर में इन पांचों तत्व के संतुलन से पॉजीटिव एनर्जी का संतुलन बना रहता है। घर की अलग-अलग दिशाओं में इन पांचों तत्वों की उपस्थिति होती है। इन पांच तत्वों में से प्रथम तत्व जल का प्रभाव घर की उत्तर दिशा में होता है। घर के उत्तरी भाग में जल तत्व का प्रभाव रहता है। जल का स्वभाव है कि यह बहता है और आगे बढ़ता रहता है। इसी कारण से ही जल स्वच्छता का कारक है।
जल तत्व किस तरह होता है असंतुलित
जल तत्व के असंतुलित होने का कारण जल तत्व पर किसी और तत्व की उपस्थिति होना है। जल और अग्नि एकदम विपरीत
स्वभाव वाले होते हैं। यदि जल तत्व के स्थान पर अग्नि तत्व की उपस्थिति हो जाए तो जल तत्व असंतुलित हो जाता है।
जलतत्व किस तरह संतुलित करें
घर की उत्तर दिशा में अग्नि से संबंधित चीजें गैस चूल्हा, भट्टी व बिजली के उपकरण नहीं रखना चाहिए। इस जगह पर जल व सजावटी वस्तुएं रखी जाना चाहिए।
क्या प्रभाव होता है उत्तर दिशा से
घर में उत्तर दिशा संतुलित हो तो घर में रहने वाले सदस्यों की सोच बड़ी व ऊंची होती है। जिंदगी में उन्नति के अवसर आते रहते हैं। घर के सभी सदस्य कर्मठ होते हैं। सेहत अच्छी रहती है। जिससे कठिन परिस्थितियों से भी सरलता से निपट लेते हैं।
ऐसे घर में रहने वाले लोग आध्यात्मिक होने के साथ-साथ सांसारिक कार्यों में भी चतुर होते हैं।
अंसतुलन करता हैं इस प्रकार असर
यदि घर के उत्तरी भाग में कोई दोष है तो जल तत्व असंतुलित हो जाएगा। ऐसे घर में रहने वाले लोगों की सोच सिमटी हुई होती है। उन्नति के अवसर कम प्राप्त होते हैं, जिससे कि ये जिंदगी को ऊंचे मुकाम पर ले जाने के बजाय आवश्यकताओं को पूरी करने में ही लगे रहते हैं।इस कारण से करियर में भी कोई खास बढ़त नहीं मिलती है।
प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण बीमारियां आसानी से घेर लेती है। असुरक्षा की भावना बनी रहती है। छोटी-छोटी बातें परेशानियों का सबब बन जाती हैं। जिससे चिंता व तनाव बना रहता है। वापस सामान्य स्थिति मुश्किल से ही बनती है।
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