- पूर्वमुखी प्लाट: पूर्व को देखता हुआ प्लाट शिक्षा, धर्म एवं अध्यात्म के कार्य मे लगे व्यक्तियो के लिए उपयुक्त होता है l
- पश्चिम मुखी प्लाट: पश्चिम को देखता हुआ प्लाट समाज को सर्विस प्रदान करने वालों लोगो जैसे की डाक्टर के लिए उपयुक्त होता है l
- उत्तर मुखी प्लाट: उत्तर को देखता हुआ प्लाट, सरकारी सेवा, पुलिस, सेना मे कम करने वालो के लिए उत्तम होता हें. यह अधिकारों में वृद्धि के लिए अच्छा है l
- दक्षिण मुखी: दक्षिण को देखता हुआ प्लाट व्यापारियों एवं व्यापारिक संस्थानों में कार्य करने के लिए उपयुक्त होता है l
- प्लाट के चारो कॉर्नर समकोण पर हो अर्थात प्लाट का आकार आयताकार या वर्गाकार हो l
- यदि प्लाट उत्तर-पूर्व दिशा में बढ़ा हुआ हो तो भी ठीक है पर दक्षिण-पशिम और दक्षिण-पूर्व में बढ़ा हुआ भूखंड उपयुक्त नहीं होता है l
- दो बड़े प्लाट की बीच स्थित एक अपेक्षाकृत छोटा प्लाट आर्थिक समृद्धि के लिए उपयुक्त नहीं होता है l
- प्लाट के पूर्व, उत्तर एवं उत्तर पूर्व दिशा में कोई बड़ा या भारी निर्माण नहीं होना चाहिए l
- यदि प्लाट के उतर-पूर्व मे कोई पानी का स्थान हें तो यह शुभ होगा पर दक्षिण-पशिम दिशा मे पानी का स्थान कदापि नहीं होना चाहिए l
- प्लाट टी (T) पॉइंट पर नहीं होना चाहिए यानि प्लाट के किसी भी दिवार पर पर आकार कोई रास्ता बंद नहीं हो जाना चाहिए l
- प्लाट मंदिर, मकबरा, शमशान के सामने नहीं होना चाहिए एवं उस पर मंदिर अथवा पीपल के पेड की छाया पड़नी चाहिए l
(गर्व से कहो हम हैं इंडियन)
No comments:
Post a Comment